Ganpati Sthapana: हिंदू धर्म में गणपति स्थापना और विसर्जन का विशेष महत्व है। हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर चतुर्दशी तक पूरे देश में गणेश उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान घरों और पंडालों में गणपति बप्पा की स्थापना की जाती है और 10वें दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर उनका गणेश विसर्जन किया जाता है।
हालांकि कई लोग डेढ़, पांच या सात दिन में भी बप्पा का विसर्जन करते हैं, लेकिन प्राचीन मान्यताओं के अनुसार गणपति को पूरे 10 दिनों तक पूजना ही शुभ माना गया है। आखिर ऐसा क्यों? आइए जानते हैं गणपति स्थापना के इन 10 दिनों का पौराणिक और आध्यात्मिक रहस्य।
10 दिनों के लिए ही क्यों की जाती है गणपति स्थापना?
पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी को ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। वहीं दूसरी मान्यता कहती है कि इसी दिन से गणपति ने महर्षि वेदव्यास के आग्रह पर महाभारत लिखना शुरू किया था।
कहानी के अनुसार गणेश जी ने वेदव्यास जी को वचन दिया कि लेखन शुरू करने के बाद वे बिना रुके काम पूरा करेंगे। गणपति ने लगातार 10 दिनों तक महाभारत की रचना की और जिस दिन कार्य पूरा हुआ, वह दिन अनंत चतुर्दशी था। लेखन समाप्त करने के बाद बप्पा ने स्नान करने के लिए सरस्वती नदी में डुबकी लगाई। तभी से परंपरा बन गई कि गणपति स्थापना गणेश चतुर्थी पर की जाती है और विसर्जन अनंत चतुर्दशी पर।
दस दिनों का आध्यात्मिक रहस्य
हिंदू धर्म में संख्या 10 को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। गणपति उत्सव के ये दस दिन जीवन के दस गुणों – धैर्य, साहस, ज्ञान, भक्ति, दया, प्रेम, त्याग, विनम्रता, सत्य और विवेक – का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- गणेश चतुर्थी नया आरंभ और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
- अनंत चतुर्दशी त्याग और समर्पण का संदेश देती है, जब बप्पा को विदा कर दिया जाता है।
इन दस दिनों में भक्त गणपति की पूजा और आराधना करके नकारात्मक विचारों को दूर करते हैं और घर-परिवार में सुख-शांति का आशीर्वाद पाते हैं।
गणेश विसर्जन का गहरा अर्थ
गणपति विसर्जन केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि जीवन का गूढ़ संदेश भी देता है। मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा का जल में विलीन होना यह दर्शाता है कि मनुष्य भी मिट्टी से बना है और अंततः प्रकृति में लौट जाता है।
यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि जीवन क्षणभंगुर है और हमें अहंकार से दूर रहकर विनम्रता और समर्पण के साथ जीना चाहिए।
निष्कर्ष
गणपति स्थापना और विसर्जन की 10 दिनों की परंपरा पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है। यह उत्सव हमें जीवन के गहरे सत्य और सकारात्मक मूल्यों को अपनाने का संदेश देता है। इसलिए हर साल भक्ति और उल्लास के साथ गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक गणपति बप्पा की पूजा की जाती है।
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