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Monday, December 8, 2025

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दीपावली की रात को क्यों किए जाते हैं तांत्रिक प्रयोग

जब हम दिवाली का नाम सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में दीये, मिठाइयाँ, लक्ष्मी पूजा और खुशियों की रौनक आ जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली की रात का एक और रहस्यमय पहलू भी है? जी हां, यह रात तंत्र साधना के लिए बेहद खास और शक्तिशाली मानी जाती है।

यह सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि ऊर्जा का ऐसा महापर्व है जब ब्रह्मांडीय शक्तियाँ सक्रिय हो जाती हैं। इसलिए साधक इस रात को ‘सिद्ध काल’ कहते हैं। आइए जानें कि आखिर क्यों दिवाली की रात तंत्र साधना के लिए अद्वितीय मानी जाती है।


दिवाली की रात और तंत्र साधना का महत्व

दिवाली अमावस्या की रात होती है, जिसे महानिशा भी कहा जाता है। अमावस्या तंत्र शास्त्र में अत्यंत शक्तिशाली समय माना गया है और जब यह दिवाली के साथ जुड़ता है, तो इसकी ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है।

इस रात साधक महालक्ष्मी और महाकाली दोनों की साधना करते हैं। महालक्ष्मी धन, वैभव और समृद्धि की देवी हैं, जबकि महाकाली सुरक्षा और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा प्रदान करती हैं। यही कारण है कि यह रात आध्यात्मिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत फलदायी मानी जाती है।


दिवाली क्यों है तंत्र साधना के लिए विशेष?

  1. अमावस्या की ऊर्जा: तंत्र में माना जाता है कि अमावस्या की रात धरती पर विशेष ऊर्जा प्रवाहित होती है। यह ऊर्जा साधना और मंत्रजाप को अधिक प्रभावी बनाती है।
  2. महानिशा काल: दिवाली की रात को ‘महानिशा’ कहा जाता है। यह वह समय है जब देवी शक्तियाँ सबसे अधिक जागृत रहती हैं।
  3. लक्ष्मी का आगमन: मान्यता है कि दिवाली की रात महालक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं। इसीलिए धन और समृद्धि की साधना का यह श्रेष्ठ अवसर होता है।

महालक्ष्मी, महाकाली और अन्य देवी शक्तियाँ

  • महालक्ष्मी: केवल धन ही नहीं, बल्कि ज्ञान, साहस और मोक्ष जैसी आठ सिद्धियों की कृपा भी प्रदान करती हैं।
  • महाकाली: बुराई, नकारात्मकता और शत्रुओं का नाश करती हैं। तंत्र में महाकाली की साधना सुरक्षा और विजय का प्रतीक है।
  • अन्य देवियाँ: सरस्वती, कुबेर और गणेश की पूजा भी इसी रात की जाती है ताकि साधना में कोई बाधा न आए।

तंत्र साधना के लिए सही समय

  • निशीथ काल: आधी रात का समय तंत्र साधना के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय वातावरण शांत होता है और ध्यान लगाना आसान होता है।
  • चौघड़िया और लग्न: कई साधक ग्रह-नक्षत्र देखकर साधना का समय चुनते हैं। शुभ और अमृत चौघड़िया साधना के लिए उत्तम माने जाते हैं।

साधकों के लिए आवश्यक टिप्स

  1. शुद्धता: साधना से पहले स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  2. आसन: लाल या काले ऊनी आसन पर बैठकर साधना करनी चाहिए।
  3. यंत्र और माला: लक्ष्मी या काली यंत्र की स्थापना करें और सही माला जैसे कमल गट्टे की माला का प्रयोग करें।
  4. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए।

सामान्य लोगों के लिए क्या करें?

हर कोई गहरी तंत्र साधना नहीं कर सकता, क्योंकि यह विषय संवेदनशील है और गुरु की देखरेख में ही करनी चाहिए। लेकिन सामान्य लोग भी दिवाली की रात सात्विक रूप से महालक्ष्मी की पूजा करके घर में सुख-समृद्धि ला सकते हैं।

  • घर को साफ रखें।
  • दीप जलाएँ।
  • महालक्ष्मी मंत्रों का जप करें।

यह सरल पूजा भी आपको शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देगी।


निष्कर्ष

दिवाली की रात केवल उत्सव का ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना का भी समय है। यह रात शक्तियों और सकारात्मक ऊर्जा से भरी होती है। यदि हम इसका सही उपयोग करें, तो जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

तो इस बार दिवाली पर केवल रोशनी और मिठाइयों तक ही सीमित न रहें। थोड़ा समय ध्यान, पूजा और साधना को भी दें। यकीन मानिए, यह रात आपके जीवन को नई ऊर्जा और दिशा दे सकती है।


– तो दोस्तों, अब आप समझ गए होंगे कि दिवाली की रात और तंत्र साधना क्यों इतनी खास है।

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