Panchanguli Sadhana: भारत में प्राचीन काल से ही कालज्ञान साधना का विशेष महत्व रहा है। यह साधनाएं न केवल हस्तरेखा और ज्योतिष से जुड़ी होती हैं, बल्कि साधक के अवचेतन मन और आध्यात्मिक शक्तियों तक कार्य करती हैं। कहते हैं कि थर्ड आई से लेकर ब्रह्म तक, इन साधनाओं की शक्ति काम करती है और साधक को अतीत, वर्तमान और भविष्य का ज्ञान प्राप्त होता है।
इन्हीं में से एक अत्यंत प्रसिद्ध और शक्तिशाली साधना है – Panchanguli Sadhana (पंचांगुली साधना)। यह साधना साधक को त्रिकालदर्शी बना देती है और उसके द्वारा किसी भी जातक का भूतकाल, वर्तमान और भविष्य प्रकट हो सकता है।
पंचांगुली साधना की विशेषता और जटिलता
पंचांगुली शाबर मंत्र साधना सामान्य साधना नहीं है। यह बेहद कठिन मानी जाती है और हर कोई इसे सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर पाता। साधना के दौरान साधक को कई तरह की बाधाओं और मानसिक-शारीरिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
लेकिन जो व्यक्ति इसे पूर्ण कर लेता है, वह ज्योतिष और कालज्ञान का महान ज्ञाता बन जाता है। ऐसे साधक केवल हाथ देखकर ही जातक के भूतकाल, वर्तमान और भविष्य की सटीक बातें बता सकते हैं। यही कारण है कि पंचांगुली साधना को ज्योतिषियों के लिए सबसे श्रेष्ठ साधना माना गया है।
सरल पंचांगुली शाबर साधना
जहाँ पारंपरिक पंचांगुली साधना अत्यंत कठिन है, वहीं सरल पंचांगुली साधना को हर साधक कर सकता है। इसमें जटिल नियम या कठिन विधि-विधान नहीं हैं।
इस साधना से भी साधक को वही फल प्राप्त होते हैं जो वैदिक पंचांगुली साधना में मिलते हैं। साधक किसी भी जातक के भूतकाल और भविष्य की बातें जान सकता है और उसे आने वाले खतरों से आगाह कर सकता है।
पंचांगुली साधना की विधि और संकल्प
- साधना की शुरुआत किसी शुक्ल पक्ष के शनिवार से करनी चाहिए।
- इससे एक दिन पूर्व यानी शुक्रवार को संकल्प लेना होता है कि आप 108 दिन तक प्रतिदिन इस साधना को करेंगे।
- संकल्प के अनुसार साधक को रोज़ 108 मंत्र जाप करना आवश्यक है।
- साधना आरंभ करने से पहले मंत्र को पूरी तरह कंठस्थ कर लें। जब तक आप नींद में भी मंत्र को सहजता से बोल न सकें, तब तक उसे पूर्ण सिद्ध नहीं माना जाता।
पंचांगुली साधना मंत्र और उंगली संचालन
इस साधना में पाँचों उंगलियों (अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा) का विशेष महत्व है। मंत्र जाप के दौरान जैसे ही किसी उंगली का उल्लेख आता है, उस उंगली को अन्य उंगली से मिलाना होता है।
जप करते समय साधक को 12-12 पोरों पर मंत्र गिनकर 108 बार पूरा करना चाहिए। इस प्रकार एक माला पूर्ण होती है और साधना निरंतर जारी रखी जाती है।
पंचांगुली शाबर मंत्र
ॐ नमो पंचांगुली परशरी माता मयंगल वशीकरणी लोहमय।
दंडमाणिनी चौसठ काम विहडनी रणमध्ये राउलमध्ये शत्रुमध्ये।
दीपानमध्ये भूतमध्ये प्रेतमध्ये पिशाचमध्ये झोंटिंगमध्ये डाकिनीमध्ये।
शंखिनीमध्ये यक्षिणीमध्ये दोषिणीमध्ये गुणीमध्ये गारुडीमध्ये।
विनारीमध्ये दोषमध्ये दोषशरणमध्ये दुष्टमध्ये घोर कष्ट मुझ ऊपर बुरो।
जो कोई करे करावे जड़े जडावे चिन्ते चिन्तावे तस माथे की माता।
पंचांगुली देवी तणो वज्र निर्धार पड़े ॐ ठं ठं ठं स्वाहा।।
साधना में सावधानियां और अभ्यास
- साधना करते समय आपको संयम और विवेक से काम लेना आवश्यक है।
- जब जातक के बारे में जानकारी प्रकट हो, तो सोच-समझकर ही बातें करें।
- अनावश्यक या हानिकारक बातें कहने से बचना चाहिए।
- नियमित अभ्यास से धीरे-धीरे साधक में आत्मविश्वास और स्पष्टता आती है।
पंचांगुली साधना का निष्कर्ष
Panchanguli Sadhana पंचांगुली शाबर मंत्र साधना एक ऐसी रहस्यमय और शक्तिशाली साधना है जो साधक को कालज्ञान प्रदान करती है। इस साधना में कठिनाई भले हो, लेकिन इसके सरल रूप को अपनाकर कोई भी साधक त्रिकालदर्शी बन सकता है।
यह साधना न तो भोग की मांग करती है, न जटिल विधियों की। केवल नियम, श्रद्धा और निरंतर अभ्यास से साधक को सफलता प्राप्त होती है।
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जय मां पंचांगुली।
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